पुनः संयोजक (रिकॉम्बिनेंट) उत्पाद प्रयोगशाला
परिचय
पुनः संयोजक उत्पाद प्रयोगशाला पुनः संयोजक उत्पादों अर्थात् इंसुलिन, इंसुलिन एनालॉग्स, वृद्धि कारक, साइटोकिन्स एवं पेप्टाइड्स के गुणवत्ता नियंत्रण मूल्यांकन (क्यूसीई) के लिए भारत सरकार द्वारा एक अधिसूचित केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) है। क्यूसीई के लिए प्राप्त पुनः संयोजक उत्पाद के प्रत्येक बैच का परीक्षण फार्माकोपॉयल उत्पादों से संबंधित भारतीय फार्माकोपिया के वर्तमान संस्करण के अनुसार और नॉन फार्माकोपिया उत्पादों से संबंधित निर्माता के प्रोटोकॉल के अनुसार इसकी गुणवत्ता विशेषताओं के लिए किया जाता है। बाजार में उभरते बायोसिमिलर के कारण इन जैविकों का क्यूसी परीक्षण करना अनिवार्य हो गया है ताकि वास्तविक उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित, प्रभावी और शक्तिशाली बायोमोलेक्यूल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।अधिसूचनाएं
इस प्रयोगशाला को राजपत्र संख्या 908ई, दिनांक 22 दिसंबर, 2014 के तहत सीडीएल के रूप में अधिसूचित किया गया है और प्रयोगशाला के सरकारी विश्लेषक को राजपत्र अधिसूचना संख्या 3840 दिनांक 26 नवंबर, 2019 के जरिए अधिसूचित किया गया है।प्रत्यायन (एक्रीडिटेशन)
प्रयोगशाला में एक गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली मौजूद है और इसमें जैविक परीक्षण और रासायनिक परीक्षण के अनुशासन के लिए परिभाषित दायरे के अनुसार आईएसओ/आईईसी 17025: 2017 मानक के अनुसार पुनः संयोजक उत्पादों का परीक्षण करने के लिए एनएबीएल मान्यता प्राप्त है।
संदर्भ मानक
प्रयोगशाला ने मानव इंसुलिन (2010) के लिए भारतीय फार्माकोपिया संदर्भ मानक (आईपीआरएस) और इंसुलिन लिस्प्रो (2014) के लिए आईपीआरएस नामक दो राष्ट्रीय संदर्भ मानक विकसित किए हैं। गुणवत्ता नियंत्रण उद्देश्य के लिए विश्वसनीय आंकडे़ प्राप्त करने हेतु इन्हें विभिन्न स्वदेशी विनिर्माताओं द्वारा खरीदा जा रहा है। इससे दवा उत्पाद तैयार करने की सुविधा स्थापित करने में कई नए निर्माताओं को भी मदद मिलती है। आईपीआरएस का लिंक आईपीसी की वेबसाइट पर भी उपलब्ध है ताकि इसकी खरीद को सुविधाजनक बनाया जा सके।मोनोग्राफ
भारतीय फार्माकोपिया में पुनः संयोजक उत्पाद प्रयोगशाला की ओर से कुल 21 मोनोग्राफ का योगदान किया गया है। प्रयोगशाला विभिन्न इन विट्रो और फिजियोकेमिकल परीक्षण मापदंडों के लिए नए उत्पादों हेतु मोनोग्राफ सत्यापन करती है ताकि परीक्षण प्रोटोकॉल में सामंजस्य स्थापित किया जा सके। लैब मौजूदा मोनोग्राफ में किसी भी हितधारक द्वारा प्रस्तावित संशोधन (नों) को शामिल करने के उद्देश्य से विशेषज्ञ राय भी प्रदान करती है।प्रशिक्षण
पुनः संयोजक उत्पाद प्रयोगशाला (आरपीएल) ने राष्ट्रीय जैविक संस्थान, नोएडा में उद्योग, अकादमिक, विनियामक और विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े प्रतिभागियों के साथ बायोथेरेप्यूटिक्स में प्रयोगशाला गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली विषय पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया । आरपीएल प्रयोगशाला अपनी तकनीकी विशेषज्ञता का विस्तार करके अपने परिसर में क्यूसी परीक्षण के दौरान आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए निर्माताओं की मदद भी करता है।सहयोगात्मक अध्ययन और प्रवीणता परीक्षण
दक्षता परीक्षण कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में प्रयोगशाला ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों जैसे डब्ल्यूएचओ, एनआईबीएससी, ईडीक्यूएम के साथ अंतर प्रयोगशाला सहयोगात्मक अध्ययन के लिए सहयोग किया है, जो एक सतत प्रक्रिया है और आईएसओ 17025: 2017 की एक आवश्यकता भी है ।नमूनों का अंतर-प्रयोगशाला परीक्षण
प्रयोगशाला बड़े पैमाने पर एनआईबी की अन्य प्रयोगशालाओं से नमूनों के अंतर-प्रयोगशाला परीक्षण में भाग लेती है जैसे काइनेटिक क्रोमोजेनिक परख द्वारा बैक्टीरियल एंडोटॉक्सिन टेस्ट, ऑस्मोलैलिटी, कण संदूषण के लिए कण माप प्रणाली द्वारा प्रकाश अस्पष्टता, एचपीएलसी आधारित परीक्षण। ये परीक्षण टीकों, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, पुनः संयोजक एंजाइम, रक्त उत्पादों आदि के विभिन्न बैचों के लिए किए जाते हैं।प्रकाशन
प्रयोगशाला द्वारा किए गए विनियामक कार्य को प्रतिष्ठित विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है। प्रयोगशाला कर्मचारियों ने बायोथेरेप्यूटिक्स के क्यूसी परीक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न कार्यशालाओं और सम्मेलनों में भी भाग लिया है।संयुक्त निरीक्षण
पुनः संयोजक उत्पाद प्रयोगशाला के वैज्ञानिक पुनः संयोजक जैव चिकित्सीय के लिए सीडीएससीओ और राज्य एफडीए के साथ भारत में बायोथेरेप्यूटिक विनिर्माण इकाइयों के संयुक्त सीजीएमपी निरीक्षण में विशेषज्ञों के रूप में भाग ले रहे हैं।